(स्थितप्रज्ञ) समुद्र के किनारे एक लहर आई…
(स्थितप्रज्ञ) समुद्र के किनारे एक लहर आई… (स्थितप्रज्ञ) समुद्र के किनारे एक लहर आई… समुद्र के किनारे एक लहर आई। …
हिंदी कहानियाँ
(स्थितप्रज्ञ) समुद्र के किनारे एक लहर आई… (स्थितप्रज्ञ) समुद्र के किनारे एक लहर आई… समुद्र के किनारे एक लहर आई। …
एक बार जरूर पढ़ें… एक मिनट लगेगा, आपकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन न आ जाये तो कहना..!! एक मिनट लगेगा, …
जब अधे ने कहा – “क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा..” “अंधे को मंदिर आया देख …
दोस्तों नमस्कार आप सभी का स्वागत है आज मैं आपको एक ऐसी motivational stories बता रहा हु जिसे पढ़ने के बाद आपकी ऊर्जा पहले जैसी नही रहेगी तो चलिए बिना आपका समय गवाये motivational story को शुरू करते है …
short motivational hindi stories with moral |
किसी ने मुझसे पूछा motivational story पढ़ने से क्या होता है मेने जवाब दिया motivational story पढ़ने से हमे दुसरो की गलतियों का पता चलता है ताकि हम गलती ना करे इसलिए ज्यादा से ज्यादा motivational story को पढ़िए…
हरीश नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था परंतु वह किसी भी race को पूरा नही करता था एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह race पूरी जरूर करेगा अब रेस शुरू हुई…
हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे 2 सारे धावक आगे निकल रहे थे मगर अब हरीश थक गया था वह रुक गया.
फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हु उसने ऐसा ही किया वह धीरे – 2 चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था अब वह बहुत ज्यादा थक गया था और नीचे गिर पड़ा उसने खुद को बोला की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा वह जिद करके वापस उठा लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया माना कि वह रेस हार चुका था लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले race को कभी पूरा ही नही कर पाया था वह जमीन पर पड़ा हुआ था क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था लेकिन आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह हार कर भी जीता था
दोस्तों हम भी तो इस तरह की गलती करते है हमारी life में कभी भी अगर कोई परेशानी होती है तो उस काम को नही करते और छोड़ देते है अगर आप एक student हो और रोज 10 hr की study करते हो और किसी दिन कोई परेशानी की वजह से आप पढ़ाई नही करते मगर आपको भले ही 5 hr मिले पढ़ना जरूर चाहिए हरीश की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम लगातार आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हम हारकर भी जीत जाएंगे.
छोटे छोटे कदम बढ़ाते जाओ और आगे बढ़ते जाओ यही सफलता का नियम है अगर आपको भी ये motivational story अच्छी लगी हो तो comment के माध्यम से हमे जरूर बताएं अगर आप और भी motivational story को पढ़ना चाहते हो तो आप बिलकुल सही जगह हो यहां पर आपको काफी सारी motivational stories का संग्रह मिलेगा जो आपको जीवन मेआगे बढ़ने की प्रेरणा देगा
काफी समय पहले की बात है दोस्तों एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे मतलब ब्लेम कर रहा था कि यह होता तो वो होता और वो होता तो शायद ऐसा होता ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक विचार-विमर्श करता रहा खुद से फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी दिखाई दी .
इसके बाद कहीं से एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि यहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो वह चला गया दोस्तों तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो…
इस कहानी में तो यही लगता है कि कुछ लोग सिर्फ परिस्थिति को दोष देना जानते हैं अगर उनके पास उपयुक्त स्रोत हो तो वह परिस्थिति को नहीं बदल सकते सिर्फ वह ब्लेम करना जानते हैं लेकिन हमे ऐसा नहीं बनना है दोस्तों इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप चाहते हो कि परिस्थितियां बदले और आपको अगर उसके लिए उपयुक्त साधन मिल जाए तो आप अपना एक परसेंट योगदान तो दे ही सकते हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि अगर आपके साथ ऐसी कोई घटना घटित होती है आप अपना योगदान जरूर देंगे.
काफी समय पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था वहाँ का राजा बहुत अच्छा था मगर राजा को एक सुख नही था वह यह कि उसके कोई भी संतान नही थी और वह चाहता था कि अब वह राज्य के अंदर किसी योग्य बच्चे को गोद ले ताकि वह उसका उत्तराधिकारी बन सके और आगे की बागडोर को सुचारू रूप से चला सके और इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी की सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाये ऐसा ही हुआ राजा ने सभी बच्चो को पौधे लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के बीज दिए और कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा होगा महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले में वह बीज अभी तक नही फूटा था लेकिन वह रोज उसकी देखभाल करता था और रोज पौधे को पानी देता था देखते ही देखते 3 महीने बीत गए बच्चा परेशान हो गया …
तभी उसकी माँ ने कहा कि बेटा धैर्य रखो कुछ बीजो को फलने में ज्यादा वक्त लगता है और वह पौधे को सींचता रहा 6 महीने हो गए राजा के पास जाने का समय आ चुका था लेकिन वह डर हुआ था कि सभी बच्चो के गमलो में तो पौधे होंगे और उसका गमला खाली होगा लेकिन वह बच्चा ईमानदार था और सारे बच्चे राजमहल में आ चुके थे…
कुछ बच्चे जोश से भरे हुए थे क्योंकि उनके अंदर राज्य का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल लालसा थी अब राजा ने आदेश दिया सभी बच्चे अपने अपने गमले दिखाने लगे मगर एक बच्चा सहमा हुआ था क्योंकि उसका गमला खाली था तभी राजा की नजर उस गमले पर गयी उसने पूछा तुम्हारा गमला तो खाली है तो उसने कहा लेकिन मैंने इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की है …
राजा उसकी ईमानदारी से खुश था कि उसका गमला खाली है फिर भी वह हिम्मत करके यहाँ आ तो गया सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उस बच्चे को सभी के सामने बुलाया बच्चा सहम गया और राजा ने वह गमला सभी को दिखाया सभी बच्चे जोर से हसने लगे राजा ने कहा शांत हो जाइये इतने खुश मत होइए आप सभी के पास जो पौधे है वो स.ब बंजर है आप चाहे कितनी भी मेहनत कर ले उनसे कुछ नही निकलेगा लेकिन असली बीज यही था राजा उसकी ईमानदारी से बेहद खुश हुआ और उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया.
लेकिन हमें इस कहानी से क्या सीखने को मिला मेरे हिसाब से अपने अंदर ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है अगर हम खुद के साथ ईमानदार है तो जीवन के किसी न किसी पड़ाव में सफल हो ही जाएंगे क्योंकि हमारी औकात हमे ही पता होती है हम खुद को पागल बनाकर खुद का ही नुकसान करते है
एक छोटी सी कहानी – आपकी जिंदगी बदल सकती है कभी-कभी हमारे जिंदगी में छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी घटनाएँ …
जिंदगी में बदलाव || Change in life || |
सरिता पटना शहर में रहती थी। सरिता पढ़ने में बहुत अच्छी थी। वह पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ घर के कामों में अपनी मम्मी की मदद किया करती थी। उसे लोगों की मदद करना बहुत पसंद था। वह सभी लोगों से अच्छे से बातें किया करती थी इसलिए उसके आस-पास के लोग उसे बहुत प्यार करते थे। एक दिन सरिता अपने बड़े भाई के साथ बाज़ार गई थी ,वही पर एक ग़रीब लड़की खड़ी थी जो की बहुत दिनों से भूखी थी। उसे कोई भी व्यक्ति खाने के लिए नहीं दे रहा था। उसी वक्त सरिता की नजर उस ग़रीब लड़की पर पड़ती है। सरिता उस लड़की के पास जाकर अपने थैले से बिस्कुट निकाल कर उसे खाने के लिए देती है। उसके बाद सरिता वहाँ से चले जाती है। रास्ते में वह देखती है कि जिस ग़रीब लड़की को उसने बिस्कुट खाने के लिए दी थी वह लड़की उसके पीछे -पीछे चली आ रही थी ,फिर सरिता वही पर खड़ी हो जाती है और उस लड़की से पूछती है कि तुम मेरे पीछे क्यों आ रही हो ?
वह लड़की उस से कहती है कि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। मैं अकेले ही इधर -उधर भटकती रहती हूँ। कभी सड़क के किनारे तो कभी बारिश में भींग कर, अपना समय गुजारती हूँ। मुझे कोई भी इंसान पेट भर खाने के लिए नहीं देता है ,यहाँ तक की मुझे कोई इंसान काम भी नहीं देता है। काम मांगने पर मुझे वहाँ से भगा देते है और मुझ से कहते है ज़रा ढंग के कपड़े पहन कर आओ। यदि मेरे पास सारे सुख सुविधाएँ होते तो क्या मैं यूँही रास्ते पर खड़े होकर भीख मांगती। यह सब बातें सुन कर सरिता के आँखों में आँसू आ जाते है। वह उस लड़की को अपने साथ अपने घर में ले जाती है। सरिता के माता-पिता सामाजिक कार्य करते थे।
सरिता के अंदर भी सामाजिक कार्य करने की भावना पहले से ही थी इसलिए वह उस लड़की के अंदर की भावनाओं को समझ जाती है और उसे अपने साथ ,अपने घर लाती है | यह देख कर उसके माता -पिता खुश हो जाते है की कम उम्र के होने के बावजूद सरिता को सही और गलत का फर्क पता चल गया। सरिता के माता -पिता अपनी बच्ची के साथ -साथ उस लड़की को भी पढ़ाते है साथ ही उसका नामकरण भी करते है क्योंकि उस लड़की का कोई नाम नहीं था उसे समाज में ” ये , अरे ” इस नाम से बुलाते थे लेकिन अब उसका भी एक नाम है – ” संध्या “
इस तरह से संध्या के जिंदगी में बदलाव आ जाते है। यदि हमारे हाथों से किसी इंसान या ग़रीब लोगो की भलाई हो रही हो तो हमें कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। अपने कदम हमेशा आगे की तरफ ही बढ़ाने चाहिए। किसी की मदद करते वक्त यह बिलकुल नहीं सोचना चाहिए की इसके बदले हमे क्या प्राप्त होगा।
जिंदगी में बदलाव || Change in life || |
Sarita lived in Patna city. Sarita was very good at reading. She used to help her mother in studies and writing as well as household chores. He loved helping people. She used to talk to all the people very well, so the people around her loved her very much. One day Sarita went to the market with her elder brother, but there stood a poor girl who had been hungry for many days. Nobody was giving him food to eat. At the same time Sarita’s eyes are on that poor girl. Sarita goes to the girl, removes the biscuits from her bag and gives it to her to eat. After that Sarita leaves from there. On the way, she sees that the poor girl whom she gave to eat the biscuits was following her behind, then Sarita stands on the same side and asks the girl why you are following me. The
The girl tells him that I have no one in this world. I keep wandering here and there alone. Sometimes on the side of the road, sometimes drenched in rain, I spend my time. No person gives me enough to eat, even no human gives me work. When they ask for work, they drive me away from there and ask me to come dressed in a different way. If I had all the comforts, would I have stood on the road and begged. Sarita tears up after hearing all these things. She takes the girl with him to her house. Sarita’s parents used to do social work.
There was already a sense of social work inside Sarita, so she understands the feelings inside that girl and brings her with her to her home. Seeing this, her parents are happy that despite being young, Sarita comes to know the difference between right and wrong. Sarita’s parents, along with their baby girl, teach that girl as well as naming her because that girl had no name, she used to call him in the society with the name “Ye, hey” but now she also has a Name is “Sandhya”
In this way, there are changes in Sandhya’s life. If any human being or poor people are doing well with our hands, then we should never go back. You should always step forward. While helping someone, one should not think about what we will get in return.
कहानी – किसी शहर में दो भाई रहते थे। उनमें से एक शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन था तो दूसरा …
अपनी बेटी के इस तरह से बात करने पर पिता सोच में पड़ गया. थोड़ा सोचने के बात पिता ने अपनी बेटी से कहा “मेरी बेटी क्या तुम मेरे साथ रसोई (Kitchen) में चल सकती हो.” बेटी थोड़ा मायूस हो गई, वो सोचने लगी मैंने अपने पिता को अपनी प्रॉब्लम बताई और वो किचन में ले जा रहे हैं. पर रूखे मन से अपने पिता से बोली “ठीक है पापा में चलती हूँ”।
उसके पिता ने तीन पतीले लिए और उनमे बराबर बराबर पानी भर दिया और गैस के तीन चूल्हों पर रख दिया, एक पतीले में उन्होंने कुछ आलू डाले, दूसरे पतीले में कुछ अण्डे डेल और तीसरे पतीले में उन्होंने कॉफी बीन्स डाली। और तीनो पतीलों को एक सामान ताप में उबले के लिए रख दिया और इंतज़ार करने लगे.।
इस बीच वह अपनी बेटी से कुछ भी नहीं बोले, बस उन पतीलों को देखते रहे. बेटी भी चुपचाप खड़ी रही और कभी अपने पिता को तो कभी उन पतीलों को देखती रही. करीब 15 मिनट के बाद जब वो चीज़े काफी उबल गई उन्होंने तीनों चुल्हे बंद कर दिए.।
आलू वाले पतीले से आलू बाहर निकाले, अण्डें वाले पतीले से अण्डों को निकला और काफी को एक प्याले में निकला, और बेटी से बोले “बताओ तुमने क्या देखा”.।
बेटी ने जबाव दिया “आलू, अण्डे और कॉफी”. पिता ने कहा “आलू को देखकर बताओ पहले और अब में क्या अंतर है”. बेटी बोली “आलू पहले सख्त थे, अब उबलने से मुलायम हो गए हैं”. अब पिता ने अण्डों से छिलके निकालने को कहा, बेटी ने ऐसा ही किया। पिता ने पूछा “अब पहले में अण्डों और अब के अण्डों में क्या अंतर है”. बेटी बोली “पहले अण्डें ऊपर से सख्त थे, और अंदर तरल था अब अण्डे अपने छिलकों से बहार हैं और तरल से सख्त हो चुके हैं”. पिता ने कहा “अब कॉफी के बारे में बताओ” बेटी बोली ” कॉफी बीन्स अलग अलग थी, आप पानी के साथ मिल चुकी हैं और अच्छी खुशबू भी आ रही है”.।
अब पिता ने बताया की इन तीनों चीज़ों को एक सामान पानी में, एक ही ताप पर और एक सामान टाइम पर उबाला, उसके बाद परिणाम भी अलग अलग मिले। हमारी लाइफ भी ऐसी ही है। हर किसी की लाइफ में प्रॉब्लम आती है, और सभी को संघर्ष करना पड़ता है पर यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इसको किस तरह से देखते हैं.।
जब संघर्ष का समय आता है तब किसी के लिए एक समस्या एक बड़ी समस्या होती है वहीं किसी दूसरे के लिए वही समस्या एक अवसर बन जाती है। ये सब आपकी सोच पर निर्भर करता है. इसीलिए कभी भी समस्या से घबरायें नहीं, पॉजिटिव रहें। इस बात को याद रखें ” अगर यह काम हो गया तो अच्छा है और नहीं हो पाया तो और भी अच्छा है”. “संघर्ष केवल उन लोगों के हिस्से में आतें हैं. तो इसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताक़त रखते हैं और सफल होते है”.।
LOVE YOU ALL story Once upon a time, there was a little girl named Lily. Lily was a kind and …