छत्रपती शिवाजी (Chhatrapati Shivaji)
छत्रपती शिवाजी – छत्रपति शिवाजी भोसले महाराज भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार माने जाते थे उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के महान शासक औरंगज़ेब से भी संघर्ष किया। रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह “छत्रपति” (छत्रपति नाम का अर्थ “प्रमुख छाता का स्वामी, बहुत बड़ा राजा” होता है) बने। छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक सेना कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया।
उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किए तथा छापामार युद्ध (छापामार युद्ध अर्धसैनिकों की टुकड़ियों और अनियमित सैनिकों द्वारा शत्रुसेना के पीछे अथवा पार्श्व से आक्रमण करके लड़े जाते हैं। छापामार युद्ध से वास्तविक युद्ध के अतिरिक्त छापामार अंतर्ध्वंस का कार्य और शत्रुदल में आतंक फैलाने का कार्य भी किया जाता हैं। छापामारों को पहचानना बहुत कठिन होता था। इनकी कोई विशेष वेशभूषा या पहनावा नहीं होता था जिससे इनको पहचाना जा सके) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की।
उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और भारत में मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा भी बनाया। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में नायक के रूप में जाने जाने लगे। उनकी महानता इसी बात से लगाई जा सकती है की बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए शिवाजी जन्मोत्सव की भी शुरुआत की।
⇔ छत्रपती शिवाजी शायरी ⇔
महाराष्ट्र के मराठा राजा,
कह रहा है सब मेरे अपने,
आज भी, गाना बजाने वाले गाते हैं,
लपेट लो
वह एकमात्र “राजा शिव छत्रपति” हैं…!!
⇔ छत्रपती शिवाजी महाराज ने कहा था ⇔
“यदि तू हिन्दू है तो, हिन्दू धर्म की रक्षा कर, देश पर धर्म का राज कर, हिंदवी राज्य ही है ईश्वर की इच्छा, उठा तलवार, राष्ट्रशांति के लिये युद्ध जरुरी है, घुस कर मार”
महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
महाराणा प्रताप – महाराणा प्रताप को देश का ‘पहला स्वतंत्रता सेनानी’ कहा जाता है। महाराणा प्रताप का पूरा जीवन संघर्षों और विरोधों से भरा था लेकिन फिर भी उन्होंने कभी अपनी स्वतंत्रता से कभी भी समझौता नहीं किया और महाराणा प्रताप महान योद्धा कहलाए। महाराणा प्रताप जैसी मिसाल पूरी दुनिया में कही भी नहीं मिलती है।
मेवाड़ के राजा रहे महाराणा प्रताप ने जिंदगी में कभी भी किसी गुलामी स्वीकार नहीं की और अकबर जैसे योद्धा से लोहा लेकर दुनिया को दिखा दिया है कि वे महाराणा क्यों कहे जाते हैं। महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगलों के किसी भी तरह के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और मेवाड़ से कई गुना ताकतवर मुगल सम्राट अकबर के साथ लगातार संघर्ष करते रहे।
⇔ महाराणा प्रताप शायरी ⇔
प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,
इस बात से अकबर भी शर्मिंदा था,
मुगल कभी चैन से सो न सके
जब तक मेवाड़ी राणा जिन्दा था…!!
⇔ महाराणा प्रताप ने कहा था ⇔
“किसी की गुलामी से कहीं अच्छा है कि, उससे लडो, मारो, जीतो, या बलिदान हो जाओ.! जीना है तो गर्व से, गुलामी में जीने से कहीं अच्छा है एक पल गर्व से जीना”
गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh)
गुरु गोविंद सिंह – गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें (10th) गुरु थे। कहा जाता है की गुरु गोविंद सिंह जैसा न तो कोई दूसरा हुआ है और न कोई होगा परोपकारी गुरु गोविंद सिंह जी में सबसे बड़ी बात यह थी कि वे अपने आपको हमेशा औरों जैसा सामान्य और साधारण व्यक्ति ही मानते थे।
⇔ गोविंद सिंह जी पर शायरी⇔
“चिडि़याँ ते मै बाज तड़ाऊं
गीदरां तो मैं शेर बनाऊं
सवा लाख से एक लड़ाऊं
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं”
⇔ गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था ⇔
“हाथ को तेल के डिब्बे में कोहनी तक डालो, फिर उसी हाथ को तिल की बोरी में डालो, जितने तिल हाथ से चिपके उतनी बार भी मुस्लिम कसम खाये तो भी उनका भरोसा मत करना”
वीर सावरकर (Veer Savarkar)
वीर सावरकर – विनायक दामोदर सावरकर भारत के महान क्रांतिकारी, समाजसुधारक, राष्ट्रवादी नेता, इतिहासकार, स्वतंत्रता सेनानी, महान वक्ता, लेखक, कवि, दार्शनिक, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता एवं विचारक माने जाते है। उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का सबसे बड़ा श्रेय वीर सावरकर को ही जाता है। वीर सावरकर हिंदुस्तान की आजादी के संघर्ष में महान क्रांतिकारी थे। वीर सावरकर का असली नाम “विनायक दामोदर सावरकर” था।
हिन्दू जाति की गृहस्थली है, भारत
जिसकी गोद में महापुरूष, अवतार, देवी-देवता और देवजन खेले हैं।
यही हमारी पितृभूमि और पुण्यभूमि है।
यही हमारी कर्मभूमि है और इससे हमारी वंशगत और
सांस्कृतिक आत्मीयता के सम्बन्ध जुड़े हैं।
⇔ वीर सावरकर ने कहा था ⇔
” हिन्दु राष्ट्र से ही भारत का विकास संभव है….
अगर किसी ने दूसरे गाल पर भी थप्पड मार दिया तो तीसरा गाल कहां से लाओगे,
कमजोर बनकर जुल्म सहोगे तो जुल्म एक दिन खा जायेगा”
नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse)
नाथूराम गोडसे – नाथुराम विनायक गोडसे अथवा नाथुराम गोडसे एक कट्टर हिन्दू थे, जिन्होंने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में महात्मा गाँधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे से पूर्व सदस्य थे। गोडसे का मानना यह था कि भारत विभाजन के समय गाँधीजी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था इसलिए नाथूराम गोडसे ने गाँधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
⇔ गोडसे पर शायरी ⇔
कैसे कह दूं उस जिन्ना को इंसान।
जिसने कलंकित की भारत की शान।।
मैं तो भक्त हूँ बस उस वीर नाथूराम का जिसने किया कलयुग में काम श्री राम का।।
⇔ नाथूराम गोडसे ने कहा था ⇔
” जो तुम्हारे देश के खिलाफ बोलता है, उसे तोडने की बात करता है,
तोडता है… उसे मार ही डाले..धर्म से ही देश बनता है,
और देश के लिये प्राण लेना देना छोटी बात हैं ॥