jad kitne prakar ki hoti hai (जड़ कितने प्रकार की होती है?): जड़ या वनस्पति के अंगों में वो अंग होते हैं जो सीधे और लकड़ी की तरह नहीं होते हैं। वे पौधे या वृक्ष की शाखाओं, डंठलों, जड़, फूलों और फलों के अंग होते हैं।
जड़ या वनस्पति के अंगों में शाखाएं, पत्ते और बीज आदि शामिल होते हैं। जड़ किसी वनस्पति का मूलांश होता है, जो भूमि में स्थिर रहता है और वनस्पति को पोषण देता है।
जड़ कई प्रकार की होती हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- पक्का जड़: यह वे जड़ होते हैं जो वृक्ष या पौधे के मूल से पैदा होते हैं। ये अंग पौधे को मजबूती और स्थिरता प्रदान करते हैं।
- कमीज़ जड़: यह वे जड़ होते हैं जो पौधे की ऊपरी भागों से निकलते हैं। ये अंग फलों और फूलों को संभालने में मदद करते हैं।
- उत्खनन जड़: ये जड़ वे होते हैं जो धरती के नीचे ऊपरी परत से निकलते हैं। इन्हें उत्खनन जड़ कहा जाता है।
- पतली जड़: ये जड़ वे होते हैं जो बहुत पतले होते हैं और पौधे की ऊपरी परत से निकलते हैं। इन्हें पतली जड़ कहा जाता है।
- रेशा जड़ – यह जड़ सबसे सामान्य है और इसमें बहुत सारे सूक्ष्म रेशे होते हैं जो वनस्पति के अन्य अंगों को पोषण प्रदान करते हैं।
- फुल्लयुक्त जड़ – यह जड़ उन वनस्पतियों के लिए होता है जिनमें फूल होते हैं। इस जड़ में एक से अधिक फूलों के आधार पर शाखाएं होती हैं।
- उत्पादक जड़ – इस जड़ में बीज होते हैं जो वनस्पति की वृद्धि और फैलाव में मदद करते हैं।
- शाखायुक्त जड़ – यह जड़ वनस्पति की शाखाओं से निकलती है और इसमें शाखाएं या पत्तियों के आधार पर शाखाएं होती हैं।
- पत्रयुक्त जड़ – यह जड़ उन वनस्पतियों के लिए होता है जिनमें पत्ते होते हैं।
जड़ तीन प्रकार की होती है: ऊतकजड़, समुद्रजड़ और पृथ्वीजड़।
- ऊतकजड़: ये वह जड़ होती हैं जो पौधों, पेड़ों और अन्य वनस्पतियों की बाहरी संरचनाओं को बनाती हैं। ऊतकजड़ रेशेदार (fibrous) या घनीभूत (dense) हो सकती हैं। इनमें कुछ ऊतकजड़ लकड़ी के समान संरचित होती हैं जबकि दूसरी घनीभूत होती हैं जैसे कि वो जो आप पत्तियों, तने और डंठल से देखते हैं।
- समुद्रजड़: समुद्र और उसमें पाए जाने वाले जीवों की शवयात्राओं के कारण बनी होती हैं। ये जड़ साधारणतया खारे पानी में पाए जाते हैं.
जड़ या पौधों की ऊँचाई, स्थायित्व और उनकी विशेषताओं के आधार पर कई तरह की होती हैं। निम्नलिखित विभिन्न प्रकार की जड़ होती हैं:
- फूसवाली जड़: इस तरह की जड़ें गुच्छों या बटुओं के रूप में होती हैं जो जमीन के नीचे फैली होती हैं। ये जड़ें पौधों को ताजगी और पानी उपलब्ध करवाती हैं।
- फलीय जड़: इस तरह की जड़ें फलों की तरह फैली होती हैं
जड़ या वनस्पति के अंगों में से जो आकार और फलने-फूलने की क्षमता से वंचित होते हैं उन्हें जड़ कहा जाता है। जड़ कई प्रकार की होती हैं।
- वहसा जड़ – ये जड़ अंडाकारी या उदरवाकार रूप में होते हैं। इनके विकास के लिए वे अपने आसपास के वस्तुओं पर निर्भर होते हैं।
- फुसफुसी जड़ – ये जड़ सूक्ष्म पोषक तंतुओं से युक्त होते हैं जो जड़ की गतिशीलता और ऊर्जा भंडारण में मदद करते हैं। ये जड़ अक्सर स्थाई नहीं होते हैं और सूखने के बाद आदर्श रूप से दुर्लभ भी होते हैं।
- स्तंभी जड़ – ये जड़ पेड़ और झाड़ियों के नीचे स्थित लम्बे स्तंभों के रूप में होते हैं। इन जड़ों में ऊर्जा भंडारण बहुत अधिक होता है और इससे पौधे विकसित होते हैं।
- बेलजड़ – ये जड़ प्राकृतिक रूप से ही नहीं मिलते हैं।
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जड़ कई प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित हैं:
- वासस्पति जड़: इसमें वृक्ष और झाड़ियों के जड़ होते हैं। ये फल, पत्ते, शाखाएँ व पेड़ की ऊपरी भागों की विकास शक्ति को संचित करते हैं।
- भौतिक जड़: ये अधिकतर ग्रहों, उनकी उपग्रहों और अन्य वस्तुओं की जड़ होती है। इसमें रचनात्मक या जीवंत शक्ति नहीं होती है।
- कार्बनेटिक जड़: ये कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट, शेल और कच्चे मिट्टी की जड़ होती है।
- अंग्रेजी शब्द “Root” के अर्थ होते हुए, बहुत से विभिन्न प्रकार की जड़ें होती हैं, जैसे जुड़वां जड़ें, धातु जड़ें, लकड़ी जड़ें, आदि।
इन सभी प्रकार की जड़ों का अपना उद्देश्य और विशेषताएं होती हैं जो उनके प्रकार के आधार पर अलग-अलग होती हैं।
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जड़ के प्रकार कोन कोनसे है?
पौधों के भागों में से जड़ हमारी दैनिक जीवन में उपयोग किए जाते हैं। जड़ कई प्रकार के होते हैं, जैसे:
- वंशावली जड़ (Rhizome): जो पौधे अपने स्थान से जमीन में जमा रहते हैं। उदाहरण के लिए, तुलसी, घीकुमारी, जींगीबर, हल्दी, बंदनवार, शतावरी, ब्राह्मी आदि।
- बुल्ब (Bulb): जो पौधे अपने अंदर पोषक तत्वों को संग्रह करते हैं। उदाहरण के लिए, प्याज, लहसुन, अलू, जंगली कन्द आदि।
- ट्रेस (Taproot): जो पौधों के मूल भाग को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, मूली, गाजर, शलजम, शतावर, सफेद मूसली आदि।
- काँड (Stem Tuber): जो पौधे की डंठल में संग्रहित होते हैं। उदाहरण के लिए, सुरन, कच्चलू, रतालू, चिप्स वाला आलू आदि।
- एयरलेयर (Aerial Root): जो पौधे की ऊपरी भागों से उठते हैं। उदाहरण के लिए, बड़ फल, पीपल, बरगद, वट, खजूर, पाइपल, बन्यान आदि।
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jad kitne prakar ki hoti hai (जड़ कितने प्रकार की होती है?)
जड़ तीन प्रकार की होती है: ऊतकजड़, समुद्रजड़ और पृथ्वीजड़।