ईमानदारी का फल - Hindi Story Teaching Honesty

ईमानदारी का फल – Hindi Story Teaching Honesty

 

 🚔ईमानदारी का फल 

Hindi Story Teaching Honesty

ईमानदारी_का_फल   Hindi Story Teaching Honesty
ईमानदारी_का_फल   Hindi Story Teaching Honesty

 

बहुत समय पहले की बात है, प्रतापगढ़ के राजा को कोई संतान नहीं थी. राजा ने फैसला किया कि वह अपने राज्य के किसी बच्चे को ही अपना उत्तराधिकारी चुनेगा. इसी इरादे से एक दिन सभी बच्चों को बुलाया गया. राजा ने घोषणा की कि वह वह वहां मौजूद बच्चों में से ही किसी को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा.

उसके बाद उसने सभी बच्चों के बीच एक छोटी सी थैली बंटवा दी…. और बोला,

“प्यारे बच्चों, आप सभी को जो थैली दी गयी है उसमे अलग-अलग पौधों के बीज हैं. हर बच्चे को सिर्फ एक ही बीज दिया गया है…आपको इसे अपने घर ले जाकर एक गमले में लगाना है. 6 महीने बाद हम फिर यहाँ इकठ्ठा होंगे और उस समय मैं फैसला करूँगा कि मेरे बाद प्रतापगढ़ का अगला शाषक कौन होगा?

 

ये कहानी भी पढ़ें: एक चुटकी ईमानदारी

उन्ही लड़कों में ध्रुव नाम का भी एक लड़का था. बाकी बच्चों की तरह वह भी बीज लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस पहुँच गया.

 

माँ की मदद से उसने एक गमला चुना और उसमे और अच्छे से उसकी देखभाल करता.

दिन बीतने लगे, पर हफ्ते-दो हफ्ते बाद भी ध्रुव के गमले में पौधे का कोई नामोनिशान नहीं था.

वहीँ अब आस-पास के कुछ बच्चों के गमलों में उपज दिखने लगी थी.

ध्रुव ने सोचा कि हो सकता है उसका बीज कुछ अलग हो… और कुछ दिनों बाद उसमे से कुछ निकले.

और ऐसा सोच कर वह पूरी लगन से गमले की देखभाल करता रहा. पर तीन महीने बीत जाने पर भी उसका गमला खाली था.

Read…