मोबाइल पैटर्न सेट करें
पैरेंट्स को चाहिए कि वे ऐसा पैटर्न सेट करें (अनुशासन बनाएं), जिसे बच्चा सीख सके, इसके लिए वे पहले खुद अपनाएं। मोबाइल फोन, इंटरनेट, गेमिंग जैसी चीजों के बच्चों के मन पर प्रभाव के क्या फायदे या नुकसान हो सकते हैं, इस पर विचार करें। साथ ही इसके दूरगामी परिणामों पर भी विचार करें। कई बार पैरेंट्स समय बचाने या बच्चे की आनाकानी से बचने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं, यह गलत प्रैक्टिस है। साथ ही इससे मोटापा जैसी लाइफस्टाइल समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अपने साथ बिठाकर ही खाना खिलाएं।
‘क्वालिटी टाइम’ दें
बच्चे के साथ आपकी मौजूदगी कोई मायने नहीं रखती, भले ही आप चाहे कम समय दें, लेकिन यह ‘क्वालिटी टाइम’ होना चाहिए। इस दौरान उससे बातें करें। उसकी दिनचर्या, स्कूल लाइफ, फ्रेंड्स आदि के बारे में बातें करें। अपने ऑफिस या वर्कप्लेस से जुड़ी बातें साझा करें। उसके साथ फिजिकल गेम्स खेलें। उसे घुमाने ले जाएं। उसके मार्क्स (चाहे कम हों) के लिए लिए प्रशंसा करें, उसे प्रोत्साहित करें। घर के छोटे-मोटे काम में सहायता लें, पास में दुकान से घर का सामान भी मंगवा सकते हैं, इससे उसमें जिम्मेदारी की भावना आएगी।
हार न मानें
अगर आपको लगता है कि बच्चा अब मोबाइल फोन की वजह से चिड़चिड़ा हो चुका है और आपके काबू से बाहर है, तब भी हार न मानें। उसे प्यार से समझाएं, मोबाइल फोन, इंटरनेट, गेमिंग आदि के फायदे-नुकसान समझाएं, समय का महत्त्व बताएं, इसके बाद भी अगर दिक्कत हो तो काउंसलर की मदद लें। यह भी देखें कि कहीं बच्चा किसी मानसिक समस्या से ग्रसित तो नहीं हो चुका है। अगर हां तो फिर पहले उसका उपचार करवाएं।
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‘ट्रैप’ में तो नहीं..!
कई बार पैरेंट्स खुद से ही बच्चे को मोबाइल फोन-इंटरनेट का इस्तेमाल करने देते हैं, लेकिन इससे वे धीरे-धीरे उसे इसका आदी बनाने का काम करते हैं। दूसरी बात यह भी ध्यान देने की है कि अकेले में मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे छोटे बच्चे ऐसे लिंक्स पर भी क्लिक कर देते हैं, जो या तो पोर्नोग्राफिक कंटेंट से जुड़ा होता है या फिर साइबर अपराधियों से। ऐसे में वे मानसिक या आर्थिक रूप से इस ‘ट्रैप’ में फंस सकते हैं। गेमिंग भी इसी तरह का एक ट्रैप है।
मोबाइल फोन उपयोग में लेने वाले बच्चों के व्यवहार में अगर बदलाव आ रहा है जैसे स्वभाव में उग्रता, तेजी, गुस्सा जैसी चीजें आ रही हैं। साथ ही लक्ष्य या एकेडमिक ग्रोथ प्रभावित हो रहे हैं तो समझ लीजिए कि कहीं न कहीं गड़बड़ है। बच्चे का रुटीन बिगड़ रहा हो, उसका ध्यान भंग हो रहा हो, उसे देर रात तक नींद नहीं आ रही हो, जैसी बातों पर गंभीरता बरतें, उस पर नजर बनाए रखें और तुरंत परामर्श लें।
प्रभावी बनें
बच्चों को मोबाइल फोन की लत से बचाने के लिए लिए कुछ प्रभावी तरीके-
जब यह तरीका आजमाए … ⇒
अगर बच्चा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के दौरान बार-बार दाएं-बाएं झांक रहा हो, इसे वह कोने में बैठकर इस्तेमाल कर रहा हो, देर रात तक फोन देखता हो, बीच में ब्रेक न ले रहा हो, भूख न लग रही हो, मोबाइल फोन के लिए शारीरिक एक्टिविटीज से दूरी बना रहा हो तो तुरंत प्रभाव से इसमें दखल दें। लेकिन गुस्से से डील न करें, शांत रहकर स्थिति संभालें।
- हर बार मोबाइल फोन देने से पहले बच्चे से कारण जानें।
- उसे ऐसी जगह बिठाएं, जहां से आप उस पर नजर रख सकें।
- अपनी मौजूदगी में ही बच्चे को मोबाइल फोन दें।
- रूठे बच्चे को मनाने के लिए मोबाइल फोन न दें।
- गुस्से के बजाय बच्चे से उसके दोस्त की तरह बात करें।
- तनाव में हो बच्चा तो उसके साथ समय बिताएं।
- पता करें कि वह किन बातों से प्रभावित हो रहा है।
- खुद में बदलाव के साथ ही बच्चे से अपेक्षा रखें।