लघु उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़, कम पूंजी से शुरू कर सकते हैं व्यवसाय
मसाले, खिलौना, हर्बल दवाएं, ब्रोकिंग अच्छे विकल्प
चलन में ये बिजनेस
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सब्जी व फल प्रसंस्करण
35 लाख से 50 लाख तक के निवेश से सब्जी-फल और इसके बायोप्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की जा सकती है।
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मसालों की मैन्युफैक्चरिंग
इस तरह की इंडस्ट्री लगाने में 20 लाख से 50 लाख रुपए का निवेश होता है। इसके बाद मार्केटिंग टीम के जरिए वितरकों तक पहुंचाया जाता है।
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खिलौना उद्योग
खिलौना व्यवसायी देश की मांग का केवल एक चौथाई हिस्से की ही आपूर्ति कर पाते हैं, शेष विदेशों से ही आते हैं। इसमें अच्छी संभावना है।
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सेनेटरी पैड का उत्पादन
25 से 50 लाख के निवेश में उत्पादन शुरू कर सकते हैं और ई-कॉमर्स कंपनियों की मदद से बिक्री बढ़ाने में सहयोग लिया जा सकता है।
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आयुर्वेदिक व हर्बल दवाएं
कोरोना के बाद लोग आयुर्वेदिक और हर्बल दवाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए इस कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है।
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इवेंट मैनेजमेंट
इसमें इवेंट मैनेजर की अहम भूमिका होती है। इसमें आप 15 से 20 लाख रुपए का निवेश कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा रियल स्टेट ब्रोकिंग, जेली, फर्नीचर जैसे उद्योग शुरू कर सकते हैं।
लघु उद्योग कम या सीमित संसाधनों में शुरू किए गए ऐसे उद्योग हैं, जो न केवल स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। ये बड़े उद्योगों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
लघु उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इसे सभी बाधाओं के जाल से मुक्ति की जरूरत है। देश के विकास में 60 से 70 फीसदी ग्रोथ इस सेक्टर से होती है। मैकेंजी के एक शोध के मुताबिक भारत में कम पैसों में शुरू होने वाले बिजनेस का काफी स्कोप है। यह देखा गया है कि अगर पूंजी कम भी हो, लेकिन बिजनेस का आइडिया शानदार हो, तो बिजनेस का सफल होना तय होता है। इसके लिए कुछ बैंक और वित्तीय फर्म लोन पर सब्सिडी भी देती हैं। इसके अलावा सरकारें ठोस योजनाएं लेकर आएं तो ऐसे उद्यम शुरू करने की राह में बाधाओं को पार किया जा सकता है।
स्टार्टअप कल्चर ने पकड़ी नब्ज
देश के युवा मैनपावर को बेहतर तरीके समझ रहे हैं। आज इंजीनियर से लेकर एमबीए करने वाले युवा मधुमक्खी पालन, चमड़ा उद्योग, डेयरी फार्म, लकड़ी और मिट्टी के खिलौने, रैडीमेड कपड़े का उद्योग, जेली उत्पादन, फर्नीचर निर्माण, मुर्गी, मछली, भेड़, बकरी पालन जैसे उद्योगों में सक्रिय हो रहे हैं।
युवाओं में उद्योग लगाने की इच्छाशक्ति
बेरोजगारी को दूर करने के लिए कुटीर उद्योगों का सहायक साधनों के रूप में विकास होना चाहिए। लघु उद्योगों के विकास में जो भी चुनौती है, उस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। भारत के युवा भी इस समय लघु उद्योग को ज्यादा महत्व देते हैं। आज का नौजवान कम उम्र में अपना एक बिजनैस खड़ा करना चाहता है, नाम कमाना चाहता है।
देश में प्रतिभा की कमी नहीं
न्यूनतम लागत पर बढ़िया उत्पादन करने की जरूरत समय की मांग है। भारत में कौशल और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। विश्व के हर महत्वपूर्ण कार्य में भारतीय शामिल हैं। यदि छोटे उद्योगों को आने वाली समस्याएं दूर हुई तो निश्चित रूप से हम सबसे बढ़िया अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में INDIA की रैंकिंग
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत का स्थान पूरे विश्व में 148वें स्थान से छलांग लगाते हुए 63वें स्थान पर आ गया है और अभी भी प्रयास किए जा रहे हैं कि इस वर्ष भारत 50वें स्थान में आ जाए। न केवल रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से बल्कि आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए भी लघु उद्योग क्षेत्र को अब आगे आना चाहिए।