जोखिम से बचने के लिए शॉप बीमा…जानिए क्यों जरूरी है?

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देश में वाहन, दुर्घटना, व्यक्तिगत, स्वास्थ्य बीमा के साथ अब प्रतिष्ठान के बीमा के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। कोविड के बाद भले बेरोजगारी दर बढ़ी हो, लेकिन उसी अनुपात में स्वरोजगार, यानी बिजनेस का ट्रेंड बढ़ा है। पिछले दो सालों में मॉल्स व बाजारों में खाली पड़ी दुकानों में अचानक गतिविधियां शुरू होने लगी हैं, अब नई पीढ़ी नवाचार से जुडे प्रतिष्ठान खोल रही है, जिनमें फ्रेंचाइजी मॉडल, ऑफर बेस्ड शॉप्स, विदेशी जायके से जुड़े रेस्टोरेंट्स आदि शामिल हैं, ऐसे में पुरानी पारम्परिक सोच से हटकर युवा पीढ़ी शॅाप इंश्योरेंस को लेकर काफी सजग है, पिछले दो वर्षों में शॉप बीमा में डबल डिजिट ग्रोथ देखने को मिली है।

क्यों जरूरी है

दरअसल शॉप बीमा एक्सीडेंटल डैमेज, आग, धोखाधड़ी या कैश की चोरी होने की स्थिति में काफी उपयोगी है। इसके साथ ही बैंक से दुकान के रास्ते में कोई घटना हो जाने पर भी इस पॅालिसी का होना बहुत जरूरी है। ये दुकानदार को इमर्जेंसी में फाइनेंशियल हैल्प प्रोवाइड कराता है। शॉप इंश्योरेंस सभी तरह के छोटे, मीडियम से लेकर बड़े दुकानदारों को भी फाइनेंशियल कवरेज देता है।

क्लेम कैसे करें

अपने इंश्योरेंस को क्लेम करने के लिए सबसे पहले आपके साथ होने वाले किसी भी तरह के लॉस या डैमेज की जानकारी 24 घंटे के अंदर इंश्योरेंस प्रॅावाइडर को देनी होगी। इसके साथ ही पुलिस को भी सूचित करना न भूलें। आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड को कॉल करें। अपने सर्वेयर को सही तरह से क्लेम फॅार्म फिल करके सब्मिट कर दें। इसके साथ ही जरूरी डॅाक्यूमेंट को भी साथ रखें।

नुकसान को ऐसे कवर करता है

यह बीमा आपकी दुकान में सेंधमारी या सेंधमारी के प्रयास से होने वाले किसी भी नुकसान को कवर करता है, इसके अलावा आपका या आपके पक्ष में जारी किए गए चेक, ड्राफ्ट या किसी भी तरह की जालसाजी के कारण हुए लॅास को भी कवर देता है।

प्रीमियम का निर्धारण

शॉप बीमा के प्रीमियम का निर्धारण शहर, दुकान का एरिया, कवर की राशि, कारोबार की प्रकृति, कितना माल आदि बातों को ध्यान रखकर किया जाता है। यदि किराना की दुकान है तो प्रीमियम कम रहेगा, लेकिन ज्वैलरी स्टोर है तो ज्यादा चुकाना होगा। 5 लाख रुपए का बेसिक कवर लेने पर सालाना 5 से 10 हजार तक का प्रीमियम चुकाना होगा।

दुर्घटना में भी

दुकान से घर जाते वक्त एक्सीडेंट के कारण चोट आती है या मृत्यु और स्थायी विकलांगता हो सकती है। तब भी शॉप बीमा काम आता है; इसके साथ ही 2,000 रुपए तक की एम्बुलेंस फीस और पार्थिव शरीर को ले जाना भी शामिल है।

दुकान के डैमेज का डर नहीं

शॉप बीमा किसी दुर्घटना, बाहरी कारणों से दुकान में तोड़फोड़ आदि के नुकसान से बचाने के साथ-साथ आपके दुकान परिसर में लगाए गए ग्लो साइन को आग, दुर्घटना, दंगा और बाढ़ से होने वाले नुकसान के लिए भी जरूरी है।

क्लेम कैसे करें

शॉप बीमा

अपने इंश्योरेंस को क्लेम करने के लिए सबसे पहले आपके साथ होने वाले किसी भी तरह के लॉस या डैमेज की जानकारी 24 घंटे के अंदर इंश्योरेंस प्रॅावाइडर को देनी होगी। इसके साथ ही पुलिस को भी सूचित करना न भूलें। आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड को कॉल करें। अपने सर्वेयर को सही तरह से क्लेम फॅार्म फिल करके सब्मिट कर दें। इसके साथ ही जरूरी डॅाक्यूमेंट को भी साथ रखें।

2018 में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि सबसे ज्यादा दुकानों में आगजनी की घटानाएं होती है, इसलिए दुकानदार इंश्योरेंस लेता है।
12% की दर से बढ़ रहा है शॉप इंश्योरेंस का बाजार। देश में एक करोड़ से ज्यादा रिटेल शॉप्स हैं।