जीवन क्या है?【What is Life In Hindi】
My Thoughts on Life in Hindi
यह खेल मनुष्य को हर पल खेलना पड़ता है।
इस खेल का नाम है “Game of Thoughts (विचारों का खेल)”।
इस खेल में मनुष्य को दुश्मनों से बचकर रहना पड़ता है|मनुष्य अपने दुश्मनों से तब तक नहीं बच सकता जब तक मनुष्य के मित्र उसके साथ नहीं है।
मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र “विचार (thoughts)” है, और उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी विचार (Thoughts) ही है।
मनुष्य के मित्रों को सकारात्मक विचार (Positive Thoughts) कहते है और मनुष्य के दुश्मनों को नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) कहा जाता है।
मनुष्य दिन में 60,000 से 90,000 विचारों (Thoughts) के साथ रहता है।
यानि हर पल मनुष्य एक नए दोस्त (Positive Thought) या दुश्मन (Negative Thought) का सामना करता है।
मनुष्य का जीवन विचारों के चयन (Selection of Thoughts) का एक खेल है।
इस खेल में मनुष्य को यह पहचानना होता है कि कौनसा विचार उसका दुश्मन है और कौनसा उसका दोस्त, और फिर मनुष्य को अपने दोस्त को चुनना होता है।
हर एक दोस्त (One Positive Thought) अपने साथ कई अन्य दोस्तों (Positive Thoughts) को लाता है और हर एक दुश्मन (One Negative Thought) अपने साथ अनेक दुश्मनों (Negative Thoughts) को लाता है।
इस खेल का मूल मंत्र यही है कि मनुष्य जब निरंतर दुश्मनों (Negative Thoughts) को चुनता है तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है और अगर वह निरंतर दोस्तों (Positive Thoughts) को चुनता है, तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है।
जब भी मनुष्य कोई गलती करता है और कुछ दुश्मनों को चुन लेता है तो वह दुश्मन, मनुष्य को भ्रमित कर देते है और फिर मनुष्य का स्वंय पर काबू नहीं रहता और फिर मनुष्य निरंतर अपने दुश्मनों को चुनता रहता है।
मनुष्य के पास जब ज्यादा मित्र रहते है और उसके दुश्मनों की संख्या कम रहती है तो मनुष्य निरंतर, इस खेल को जीतता जाता है। मनुष्य जब जीतता है तो वह अच्छे कार्य करने लगता है और सफलता उसके कदम चूमती है, सभी उसकी तारीफ करते है और वह खुश रहता है।
लेकिन जब मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य के मित्रो से मजबूत हो जाते है, तो मनुष्य हर पल इस खेल को हारता जाता है और निराश एंव क्रोधित रहने लगता है।
मनुष्य को विचारों के चयन में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य को ललचाते है और मनुष्य को लगता है कि वही उसके दोस्त है।
जो लोग इस खेल को खेलना सीख जाते है वे सफल हो जाते है और जो लोग इस खेल को समझ नहीं पाते वे बर्बाद हो जाते है।
इस खेल में ज्यादातर लोगों कि समस्या यह नहीं है कि वे अपने दोंस्तों और दुश्मनों को पहचानते नहीं बल्कि समस्या यह है कि वे दुश्मनों को पहचानते हुए भी उन्हें चुन लेते है।
ईश्वर (या सकारात्मक शक्तियाँ), मनुष्य को समय-समय पर कई तरीकों से यह समझाते रहते है कि इस खेल को कैसे खेलना है लेकिन यह खेल मनुष्य को ही खेलना पड़ता है। जब मनुष्य इसमें हारता रहता है और यह भूल जाता है कि इस खेल को कैसे खेलना है तो ईश्वर फिर उसे बताते है कि इस खेल को कैसे खेलना है।
————————————- यही है जीवन !!
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जीवन क्या है?【What is Life In Hindi】
I am sharing my thoughts about “life” here today and will try to tell you what life is? (What is Life)
Man’s life is a type of game – Life is a Game and Man is the main player of this game.
Man has to play this game every moment.
The name of this game is “Game of Thoughts”.
In this game, man has to stay away from enemies. Man cannot avoid his enemies as long as man’s friend is with him.
Man’s greatest friend is “thoughts”, and his biggest enemy is also thoughts.
Man’s friends are called Positive Thoughts and man’s enemies are called Negative Thoughts.
Man lives with 60,000 to 90,000 thoughts a day.
That is, every moment a person encounters a new friend (Positive Thought) or an enemy (Negative Thought).
Man’s life is a game of selection of thoughts.
In this game man has to identify which idea is his enemy and which his friend, and then man has to choose his friend.
Each One Positive Thought brings along with it many other friends (Positive Thoughts) and each One Negative Thought brings with it many enemies.
The basic mantra of this game is that man gets used to it when he chooses the Negative Thoughts and if he chooses Positive Thoughts, he gets used to it.
Whenever man makes a mistake and chooses some enemies, then that enemy confuses man and then man does not control himself and then man constantly chooses his enemies.
When man has more friends and the number of his enemies is less, then man continuously wins this game. When a man wins, he starts doing good deeds and success kisses him, everyone praises him and he is happy.
But when the enemies of man become stronger than the friends of humans, then the man loses this game every moment and starts frustrated and angry.
Man has to take great care in choosing ideas because the enemies of man entice man and man feels that he is his friend.
People who learn to play this game become successful and those who do not understand this game are doomed.
The problem of most people in this game is not that they do not recognize their friends and enemies, but the problem is that they identify the enemies and choose them.
God (or positive powers), from time to time, explain to man how to play this game, but man has to play this game. When man keeps losing in it and forgets how to play this game, God then tells him how to play this game.
———————————— This is life !!
nice