घड़ी की सुइयां – Watch Of Needles –रामु अपने छोटे से कमरे में गहरी नींद में सोया हुआ था। कमरे के शांत वातावरण में केवल घडी (watch) की टिक-टिक की आवाज गूंज रही थी।
टेबल पर रखी घडी (watch) की बड़ी सुई जैसे ही छोटी सुई से आकर मिली, उसने पूछा-“अरी कैसी हो छोटी सुई?”
“मैं तो चलते-चलते तंग आ गयी हैं। एक पल के लिये भी मुझे आराम नहीं मिलता। एक ही दायरे में घूमते-घूमते में तो अब ऊब गई हु। रामू का कुत्ता कालू तक सो रहा है, मगर हमें आराम नहीं ।”
“तुम ठीक कहती हो बहन। रामू को देखो, वह भी कैसे घोड़े बेचकर सो रहा है। खुद को सुबह उठाने का काम तक हमें सौंप रखा है। सुबह पाँच बजे जब हम अलार्म बजायेंगी, तब कहीं जाकर उठेगा क्या फायदा ऐसी जिन्दगी से ?”
“हाँ बहन.क्यों न हम भी चलना बन्द कर दें?” बड़ी सुई ने अपना सुझाव दिया।
छोटी सुई को भी बड़ी सुई का यह सुझाव पसन्द आ गया और दोनों चुपचाप जहां की तहाँ ठहर गयीं।
सुबह जब रामू की आंख खुलीं तो कमरे में धूप देखकर वह चौंक उठा। टेबल पर रखी घडी (watch) की ओर देखा तो उसमें अभी तक दो ही बज रहे थे।
रामू घबराकर बोला-“ओह आज तो इस घडी (watch) ने मुझे धोखा दे दिया। कितनी देर हो गयी उठने में? अब कैसे पढ़ाई पूरी होगी?” घडी (watch) को कोसता हुआ रामू कुछ ही देर में कमरे से चला गया ।
उसे इस तरह बड़बड़ाता और गुस्से क कारण कमरे से बाहर जाता देख छोटी सुई हँसकर बोली-“आज पता चलेगा बच्चू को हमारा महत्व क्या है?”
रामू के पिता ने जब घडी (watch) को बन्द देखा तो वे उसे उठाकर घडी (watch)साज़ के पास ले गये।
घडी (watch) साज़ ने उसे खोलकर अन्दर बारीकी से निरीक्षण किया। लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया ।
और कुछ देर तक घडी (watch) को सही करने के प्रयास के बाद वह रामू के पिता से बोला-“श्रीमान जी, इस घडी (watch) में खराबी तो कोई नज़र नहीं आ रही। शायद यह बहुत पुरानी हो गयी है। अब आप इसे आराम करने दीजिये।”
रामू के पिता उसे वापस ले आये और उन्होंने उसे कबाड़े के बक्से में डाल दिया।
फिर उन्होंने बक्से को बन्द कर दिया और बाहर आ गये। बक्से में अन्य टूटी-फूटी वस्तुएं पड़ी थीं।
बक्सा बन्द होते ही छोटी सुई घबरा गयी। वह बोली-“बहन! यह हम कहाँ आ गये हैं? यहाँ तो बहत अंधेरा है ।”
। अरी मेरा तो दम ही घुट रहा है।”. बड़ी सुई कराहती हुई बोली-“ये किस कैद खाने में बन्द हो गये हम? कोई हमें खुली हवा में ले जाये ।”
किन्तु उनकी बात को सुनने वाला कोई नहीं था।
अब दोनों को वह समय याद आ रहा था जब वे राजू के खुले हवादार कमरे में टेबल पर बिछे मेजपोश के ऊपर शान से इतराया करती थीं।
पास ही गुलदस्ते में ताजे फूल सजे होते थे। चलते रहने के कारण उनके शरीर में चुस्ती फुर्ती बनी रहा करती थी। कितनी कद्र थी उनकी आते जाते सब उनकी ओर देखते थे।
रामू बड़े प्यार से अपने रूमाल से घडी (watch) साफ किया करता था। अब दोनों सुइयाँ टिक-टिक करके चलने लगी थीं। क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि कुछ ना करने से बेहतर है, कुछ करते रहना।
निकम्मों और आलसियों को दुनिया में कोई काम नहीं।
अब दोनों अपने किये पर पछता रही थीं और इस आशा में चल रही थीं कि शायद कोई इधर आये हमारी टिक-टिक की आवाज सुने और हमें इस कैद से निकालकर फिर मेज पर सजा दे।
मित्रों“ चलना ही जिन्दगी है।” यानी जब तक आप क्रियाशील हैं तभी तक आपकी उपयोगिता बनी हुई है। तभी आपका जीवन सफल माना जायेगा और स्वयं भी आपको उस जीवन का आनन्द आयेगा। जिस प्रकार घडी (watch) की सुइयाँ बन्द हो गयीं तो उनके मालिक ने उन्हें व्यर्थ समझकर बॉक्स में बन्द कर दिया और फिर वे अपनी करनी पर कितनी पछताईं। अतः किसी को भी अपने जीवन को स्थिर नहीं रखना चाहिए।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
:: Translate In English ::
Watch Of Needles
|| घड़ी की सुइयां || Watch Of Needles ||
Ramu your Small From rooms In Deep Sleep In soy Happened Was. rooms K Cool atmosphere In In college Clothes Of Tick – Tick Of Voice Echo Stayed was.
Table On Laid Watch Of big Needle like Hee tiny Needle From Come Found ,He asked -” Ari How Ho tiny Needle “?
” Fine Am sister ,you How Ho “?Fixture with tiny Needle language.
” Me So On the go – On the go Tight come Added Huh. One moment K for Too me rest No get. One Hee Scope In Walking – Walking In So now Bored Went Huh. Ramu Of dog Kalu till Sleep Stayed is ,But Us rest No . ”
नीम के पत्ते – Neem leaves – एक महात्मा (साधु) एक गांव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में अपनी कुटिया में अपने एक नौकर के साथ रहते थे।
दो शहरी नौजवान उनके पास अपनी समस्या लेकर आये “महात्मा (साधु) जी, हमने सुना है, आप हर समस्या का समाधान जानते हैं।
“तुम निश्चिन्त होकर मुझे अपनी समस्या बताओ,”
“बात ऐसी है, हम लोग इस शहर में नए आये है,यहाँ दहशत का माहौल है, यहाँ आवारा लोगों का बसेरा है। सड़कों पर गुज़रते हुए लोगों से बदतमीज़ी की जाती है, आते जाते लोगों को गालियाँ दी जाती है। कुछ दबंग लोग शराब पीकर सड़क किनारे खड़े हो जाते हैं और सामने से गुज़रते हुए लोगों के साथ बदसुलूकी करते हैं, उन्हें गालियाँ देते हैं, हाथा-पाई पर उतर आते हैं।
पहला नौजवान बोला, “हम परेशान हो गए, भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताएं..??
दोनों नौजवान की बात सुनकर महात्मा (साधु) जी चारपाई से उठे और यह बडबडाते हुए कि “यह समस्या बहुत गंभीर है,” कुटिया के बाहर चल दिए । नौजवान ने बाहर जाकर देखा, वो शांत खड़े अपने कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे।
अगले ही पल वो मुड़कर दोनों नौजवानो से बोले, “बेटा एक काम करोगे,” महात्मा (साधु) दूर इशारा करते हुए बोले, “ये सड़क देखो.. जहांये सड़क मुड़ती है, वही सामने एक नीम का बड़ा पेड़ है, ज़रा मेरे लिए वहाँ से कुछ नीम के पत्ते तोड़ लाओगे ।”
“ज़रूर महात्मा (साधु) जी, जैसा आप कहे,” कहकर दोनों नौजवान ने कदम बढ़ा दिए, परन्तु महात्मा (साधु) उन्हें रोकते हुए बोले, “ठहरो बेटा….जाने से पहले मैं तुम्हें बता दूँ, रास्ते में कई आवारा कुत्ते हैं, जो तुम्हें अपना शिकार बना सकते हैं, वो बहुत खूंखार हैं, तुम्हारी जान भी जा सकती है, क्या तुम वो पत्ते ला पाओगे..??”
नौजवानों ने एक दूसरे को देखा, और उनके चेहरे के हाव भाव देख कर महात्मा (साधु) समझ गए कि वे डरे हुए तोथे, परन्तु वहाँ जाने केलिए तैयार थे । दोनों नौजवान उस सड़क पर चल दिए, वो सड़क पर से गुज़रे, रास्ते में उन्हें काफी आवारा कुत्ते सड़क किनारे बैठे मिले ।
उन्होंने कोशिश कि वो उन्हें पार कर जायें, परन्तु यह करना आसान नहीं था , जैसे ही वो एक कुत्ते के करीब से गुज़रे, कुत्ते ने उन्हें काट खाने वाली भूखी निगाहों से घूरा, वो कोशिश करते उन्हें पार करने की, परन्तु यह करना जान जोखिम में डालने के बराबर था ।
काफी देर इंतज़ार करने के बाद जबवे लौटे तब महात्मा (साधु) ने देखा, उनके हाथ खाली थे, और वो काफी डरे हुए थे।
वो महात्मा (साधु) के करीब आये और बोले– “हमे माफ़ कर दीजिये,” पहला नौजवान बोला, “ये रास्ता बहुत खतरनाक है, रास्ते मेंबहुत खूंखार कुत्ते थे, हम ये काम नहीं कर पाए।”
दूसरा नौजवान बोला, “हमने दो चार कुत्तों को झेल लिया परन्तु आगे जाने पर कुत्तों ने हम पर हमला कर दिया, हम जैसे तैसे करके अपनीजा न बचाकर वापिस आये हैं।”
महात्मा (साधु) बिना कुछ बोले कुटिया के अन्दर चलते गए, और अपने नौकर को साथ लेकर बाहर आये । उन्होंने नौकर से वो पत्ते तोड़ने के लिए कहा। नौकर उसी सड़क से गया । वह कुत्तों के बीच से गुज़रा । परन्तु जब काफी देर बाद, दोनों नौजवानों ने नौकर को सड़क से वापिस अपनी ओर आते देखा, तब देखा उसके हाथ नीम के पत्तों से भरे थे।
ये देखकर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए । महात्मा (साधु) बोले, “बेटा ये मेरा नौकर है, ये अँधा है… हालांकि ये देख नहीं सकता, परन्तु कौन सी चीज़ कहाँ पर है, इसे पूरा ज्ञान है। ये रोज़ मुझे नीम के पत्ते लाकर देता है.. और जानते हो क्यों इसे आवारा कुत्ते नहीं काटते, क्योंकि ये उनकी तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता”!
महात्मा (साधु) आगे बोले, “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा, जिस व्यर्थ की चीज़ पर तुम सबसे ज्यादा ध्यान दोगे, वह चीज़ तुम्हें उतनी ही काटेगी। इसलिए अच्छा होगा, तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो
Neem leaves कहानी से शिक्षा –
इन दो नौजवानों की तरह हम भी अपने जीवन में कुछ ऐसा ही अनुभव करते हैं । हमारा जीवन भी खूंखार मोड़ो से भरा होता है। न जाने कौनसे मोड़ पर मौत हमें गले लगा ले परन्तु यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि, हम उन नौजवानों की तरह डरकर वापिस लौट आते है या फिर नौकर की तरह धैर्य और हिम्मत से आगे कदम बढाते हैं और अपना लक्ष्य हासिल करते हैं!
Lockdown के समय मे नकरात्मक वातावरण में अनेको रोते हुए, बहाने बनाते हुए तथा दूसरों को कोस कोस के कामचोर बने रहने वाले आसपास के सभी लोगो को आप नजर अंदाज करके आत्मनिर्भर बनने के लिए लक्ष्य की दिशा में निरन्तर बढ़ते रहियेगा!!
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