ये कहाँ आ गये हम

ये कहाँ आ गये हम

…︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵♤♤ ये कहाँ आ गये हम ♤♤︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶किसी दिन सुबह उठकरइसका जायज़ा लीजियेगा , किकितने घरों मेंअगली पीढ़ी के बच्चे रह …

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हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगज़ेब ...

हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगज़ेब …

हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगज़ेब〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️आज से करीब 1000 साल पहले 12वीं शताब्दी के लगभग काकतीय …

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डिजिटल उपवास ...

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.︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵✧ डिजिटल उपवास ✧︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶सवेरे से मित्र कोचार-पाँच बार फोन किया, लेकिनउसका फोन उठ ही नहीं रहा था.व्हाट्सएप और फेसबुक पर …

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क्योंकि , वो अनपढ़ थी ना ...

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..┍──━─────────━────┑✮ क्योंकि , वो अनपढ़ थी ना ✮┕──━─────────━────┙एक मध्यम वर्गीय परिवार केएक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में90% अंक प्राप्त …

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स्वतंत्रता पर एक कहानी - A story on freedom

स्वतंत्रता पर एक कहानी – A story on freedom

स्वतंत्रता पर एक कहानी – A Hindi story on freedom

स्वतंत्रता पर एक कहानी - A story on freedom

independence – A story on freedom

 

एक सन्त के आश्रम में एक शिष्य कहीं से एक तोता ले आया और उसे पिंजरे में रख लिया। सन्त ने कई बार शिष्य से कहा किइसे यों कैद करो। परतन्त्रता संसार का सबसे बड़ा अभिशाप है।

 

किन्तु शिष्य अपने बालसुलभ कौतूहल को रोक सका और उसे अर्थात् पिंजरे में बन्द किये रहा।

 

तब सन्त ने सोचा कितोता को ही स्वतंत्र होने का पाठ पढ़ाना चाहिए

उन्होंने पिंजरा अपनी कुटी में मँगवा लिया और तोते को नित्य ही सिखाने लगे– ‘पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ।

 

कुछ दिन में तोते को वाक्य भली भाँति रट गया। तब एक दिन सफाई करते समय भूल से पिंजरा खुला रह गया।

 

सन्त कुटी में आये तो देखा कि तोता बाहर निकल आया है और बड़े आराम से घूम रहा है साथ ही ऊँचे स्वर में कह भी रहा है– “पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ।

 

सन्त को आता देख वह पुनः पिंजरे के अन्दर चला गया और अपना पाठ बड़े जोरजोर से दुहराने लगा।

 

सन्त को यह देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ। साथ ही दुःख भी I

 

वे सोचने लगे किइसने केवल शब्द को ही याद किया

 

यदि यह इसका अर्थ भी जानता होतातो यह इस समय इस पिंजरे से स्वतंत्र हो गया होता ! 

 

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संगति का असर - Effect of consistency

संगति का असर – Effect of consistency

संगति  का असर – Effect of consistency

|| संगति  का असर  || Effect of consistency ||
|| संगति  का असर  || Effect of consistency ||

संगति का असर – Effect of consistency – एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहामंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ। तोते सदैव तो मिलते नहीं। राजा पीछे पड़ गये तो मंत्री एक संत के पास गये और कहाभगवन्! राजा साहब एक तोता लाने की जिद कर रहे हैं। आप अपना तोता दे दें तो बड़ी कृपा होगी। संत ने कहाठीक है, ले जाओ।

राजा ने सोने के पिंजरे में बड़े स्नेह से तोते की सुखसुविधा का प्रबन्ध किया। ब्रह्ममुहूर्त में तोता बोलने लगाओम् तत्सत्….ओम् तत्सत्उठो राजा! उठो महारानी! दुर्लभ मानवतन मिला है। यह सोने के लिए नहीं, भजन करने के लिए मिला है।

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै तिलक देत रघुबीर।।

कभी रामायण की चौपाई तो कभी गीता के श्लोक उसके मुँह से निकलते। पूरा राजपरिवार बड़े सवेरे उठकर उसकी बातें सुना करता था। राजा कहते थे कि सुग्गा क्या मिला, एक संत मिल गये।

हर जीव की एक निश्चित आयु होती है। एक दिन वह सुग्गा मर गया। राजा, रानी, राजपरिवार और पूरे राष्ट्र ने हफ़्तों शोक मनाया। झण्डा झुका दिया गया। किसी प्रकार राजपरिवार ने शोक संवरण किया और राजकाज में लग गये। पुनः राजा साहब ने कहामंत्रीवर! खाली पिंजरा सूनासूना लगता है, एक तोते की व्यवस्था हो जाती!

मंत्री ने इधरउधर देखा, एक कसाई के यहाँ वैसा ही तोता एक पिंजरे में टँगा था। मंत्री ने कहा कि इसे राजा साहब चाहते हैं। कसाई ने कहा कि आपके राज्य में ही तो हम रहते हैं। हम नहीं देंगे तब भी आप उठा ही ले जायेंगे। मंत्री ने कहानहीं, हम तो प्रार्थना करेंगे। कसाई ने बताया कि किसी बहेलिये ने एक वृक्ष से दो सुग्गे पकड़े थे। एक को उसने महात्माजी को दे दिया था और दूसरा मैंने खरीद लिया था। राजा को चाहिये तो आप ले जायँ।

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घड़ी की सुइयां - Watch Of Needles

घड़ी की सुइयां – Watch Of Needles

घड़ी की सुइयां  – Watch Of Needles 

|| घड़ी की सुइयां || Watch Of Needles  ||
घड़ी की सुइयां –Watch Of Needles 

घड़ी की सुइयां – Watch Of Needles – रामु अपने छोटे से कमरे  में गहरी नींद में सोया हुआ था। कमरे के शांत वातावरण में केवल घडी (watch) की टिक-टिक की आवाज गूंज रही थी।

टेबल पर रखी घडी (watch) की बड़ी सुई जैसे ही छोटी सुई से आकर मिली, उसने पूछा-“अरी कैसी हो छोटी सुई?”

“ठीक हूँ बहन, तुम कैसी हो?” अंगड़ाई लेकर छोटी सुई बोली।

“मैं तो चलते-चलते तंग आ गयी हैं। एक पल के लिये भी मुझे आराम नहीं मिलता। एक ही दायरे में घूमते-घूमते में तो अब ऊब गई हु। रामू का कुत्ता कालू तक सो रहा है, मगर हमें आराम नहीं ।”

“तुम ठीक कहती हो बहन। रामू को देखो, वह भी कैसे घोड़े बेचकर सो रहा है। खुद को सुबह उठाने का काम तक हमें सौंप रखा है। सुबह पाँच बजे जब हम अलार्म बजायेंगी, तब कहीं जाकर उठेगा क्या फायदा ऐसी जिन्दगी से ?”

“हाँ बहन.क्यों न हम भी चलना बन्द कर दें?” बड़ी सुई ने अपना सुझाव दिया।

 

छोटी सुई को भी बड़ी सुई का यह सुझाव पसन्द आ गया और दोनों चुपचाप जहां की तहाँ ठहर गयीं।

 

सुबह जब रामू की आंख खुलीं तो कमरे में धूप देखकर वह चौंक उठा। टेबल पर रखी घडी (watch) की ओर देखा तो उसमें अभी तक दो ही बज रहे थे।

रामू घबराकर बोला-“ओह आज तो इस घडी (watch) ने मुझे धोखा दे दिया। कितनी देर हो गयी उठने में? अब कैसे पढ़ाई पूरी होगी?” घडी (watch) को कोसता हुआ रामू कुछ ही देर में कमरे से चला गया ।

 

उसे इस तरह बड़बड़ाता और गुस्से क कारण कमरे से बाहर जाता देख छोटी सुई हँसकर बोली-“आज पता चलेगा बच्चू को हमारा महत्व क्या है?”

 

रामू के पिता ने जब घडी (watch) को बन्द देखा तो वे उसे उठाकर घडी (watch)साज़ के पास ले गये।

 

घडी (watch) साज़ ने उसे खोलकर अन्दर बारीकी से निरीक्षण किया। लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया ।

 

और कुछ देर तक घडी (watch) को सही करने के प्रयास के बाद वह रामू के पिता से बोला-“श्रीमान जी, इस घडी (watch) में खराबी तो कोई नज़र नहीं आ रही। शायद यह बहुत पुरानी हो गयी है। अब आप इसे आराम करने दीजिये।”

 

रामू के पिता उसे वापस ले आये और उन्होंने उसे कबाड़े के बक्से में डाल दिया।

 

फिर उन्होंने बक्से को बन्द कर दिया और बाहर आ गये। बक्से में अन्य टूटी-फूटी वस्तुएं पड़ी थीं।

 

बक्सा बन्द होते ही छोटी सुई घबरा गयी। वह बोली-“बहन! यह हम कहाँ आ गये हैं? यहाँ तो बहत अंधेरा है ।”

 

। अरी मेरा तो दम ही घुट रहा है।”. बड़ी सुई कराहती हुई बोली-“ये किस कैद खाने में बन्द हो गये हम? कोई हमें खुली हवा में ले जाये ।”

 

किन्तु उनकी बात को सुनने वाला कोई नहीं था।

अब दोनों को वह समय याद आ रहा था जब वे राजू के खुले हवादार कमरे में टेबल पर बिछे मेजपोश के ऊपर शान से इतराया करती थीं।

 

पास ही गुलदस्ते में ताजे फूल सजे होते थे। चलते रहने के कारण उनके शरीर में चुस्ती फुर्ती बनी रहा करती थी। कितनी कद्र थी उनकी आते जाते सब उनकी ओर देखते थे।

 

रामू बड़े प्यार से अपने रूमाल से घडी (watch) साफ किया करता था। अब दोनों सुइयाँ टिक-टिक करके चलने लगी थीं। क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि कुछ ना करने से बेहतर है, कुछ करते रहना।

 

निकम्मों और आलसियों को दुनिया में कोई काम नहीं।

 

अब दोनों अपने किये पर पछता रही थीं और इस आशा में चल रही थीं कि शायद कोई इधर आये हमारी टिक-टिक की आवाज सुने और हमें इस कैद से निकालकर फिर मेज पर सजा दे।

 

मित्रों“ चलना ही जिन्दगी है।” यानी जब तक आप क्रियाशील हैं तभी तक आपकी उपयोगिता बनी हुई है। तभी आपका जीवन सफल माना जायेगा और स्वयं भी आपको उस जीवन का आनन्द आयेगा। जिस प्रकार घडी (watch) की सुइयाँ बन्द हो गयीं तो उनके मालिक ने उन्हें व्यर्थ समझकर बॉक्स में बन्द कर दिया और फिर वे अपनी करनी पर कितनी पछताईं। अतः किसी को भी अपने जीवन को स्थिर नहीं रखना चाहिए।

 

सदैव प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।               


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Watch Of Needles

|| घड़ी की सुइयां || Watch Of Needles  ||
 || घड़ी की सुइयां || Watch Of Needles  ||


 Ramu
  your   Small   From   rooms    In   Deep   Sleep   In   soy   Happened   Was.   rooms   K   Cool   atmosphere   In   In college   Clothes   Of   Tick Tick   Of   Voice   Echo   Stayed   was.

 

Table   On   Laid   Watch   Of   big   Needle   like   Hee   tiny   Needle   From   Come   Found ,  He   asked -” Ari   How   Ho   tiny   Needle “?

 

Fine   Am   sister ,  you   How   Ho “?  Fixture   with   tiny   Needle   language.

 

Me   So   On the go On the go   Tight   come   Added   Huh.   One   moment   K   for   Too   me   rest   No   get.   One   Hee   Scope   In   Walking Walking   In   So   now   Bored   Went   Huh.   Ramu   Of   dog   Kalu   till   Sleep   Stayed   is ,  But   Us   rest   No   .

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नीम के पत्ते - Neem leaves

नीम के पत्ते – Neem leaves

 नीम के पत्ते – Neem leaves

नीम के पत्ते
|| नीम के पत्ते || Neem leaves ||

 

नीम के पत्ते – Neem leaves – एक महात्मा (साधु) एक गांव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में अपनी कुटिया में अपने एक नौकर के साथ रहते थे।

दो शहरी नौजवान उनके पास अपनी समस्या लेकर आये “महात्मा (साधु) जी, हमने सुना है, आप हर समस्या का समाधान जानते हैं।

“तुम निश्चिन्त होकर मुझे अपनी समस्या बताओ,”

“बात ऐसी है, हम लोग इस शहर में नए आये है,यहाँ दहशत का माहौल है, यहाँ आवारा लोगों का बसेरा है। सड़कों पर गुज़रते हुए लोगों  से बदतमीज़ी की जाती है, आते जाते लोगों को गालियाँ दी जाती है। कुछ दबंग लोग शराब पीकर सड़क किनारे खड़े हो जाते हैं और सामने से गुज़रते हुए लोगों के साथ बदसुलूकी करते हैं, उन्हें गालियाँ देते हैं, हाथा-पाई पर उतर आते हैं।

पहला नौजवान बोला, “हम परेशान हो गए, भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताएं..??

दोनों नौजवान की बात सुनकर महात्मा (साधु) जी चारपाई से उठे और यह बडबडाते हुए कि “यह समस्या बहुत गंभीर है,” कुटिया के बाहर चल दिए । नौजवान ने बाहर जाकर देखा, वो शांत खड़े अपने कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे।

अगले ही पल वो मुड़कर दोनों नौजवानो से बोले, “बेटा एक काम करोगे,” महात्मा (साधु) दूर इशारा करते हुए बोले, “ये सड़क देखो.. जहांये सड़क मुड़ती है, वही सामने एक नीम का बड़ा पेड़ है, ज़रा मेरे लिए वहाँ से कुछ नीम के पत्ते तोड़ लाओगे ।”

“ज़रूर महात्मा (साधु) जी, जैसा आप कहे,” कहकर दोनों नौजवान ने कदम बढ़ा दिए, परन्तु महात्मा (साधु) उन्हें रोकते हुए बोले, “ठहरो बेटा….जाने से पहले मैं तुम्हें बता दूँ, रास्ते में कई आवारा कुत्ते हैं, जो तुम्हें अपना शिकार बना सकते हैं, वो बहुत खूंखार हैं, तुम्हारी जान भी जा सकती है, क्या तुम वो पत्ते ला पाओगे..??”

नौजवानों ने एक दूसरे को देखा, और उनके चेहरे के हाव भाव देख कर महात्मा (साधु) समझ गए कि वे डरे हुए तोथे, परन्तु वहाँ जाने केलिए तैयार थे । दोनों नौजवान उस सड़क पर चल दिए, वो सड़क पर से गुज़रे, रास्ते में उन्हें काफी आवारा कुत्ते सड़क किनारे बैठे मिले ।

उन्होंने कोशिश कि वो उन्हें पार कर जायें, परन्तु यह करना आसान नहीं था , जैसे ही वो एक कुत्ते के करीब से गुज़रे, कुत्ते ने उन्हें काट खाने वाली भूखी निगाहों से घूरा, वो कोशिश करते उन्हें पार करने की, परन्तु यह करना जान जोखिम में डालने के बराबर था ।

काफी देर इंतज़ार करने के बाद जबवे लौटे तब महात्मा (साधु) ने देखा, उनके हाथ खाली थे, और वो काफी डरे हुए थे।

वो महात्मा (साधु) के करीब आये और बोले– “हमे माफ़ कर दीजिये,” पहला नौजवान बोला, “ये रास्ता बहुत खतरनाक है, रास्ते मेंबहुत खूंखार कुत्ते थे, हम ये काम नहीं कर पाए।”

दूसरा नौजवान बोला, “हमने दो चार कुत्तों को झेल लिया परन्तु आगे जाने पर कुत्तों ने हम पर हमला कर दिया, हम जैसे तैसे करके अपनीजा न बचाकर वापिस आये हैं।”

महात्मा (साधु) बिना कुछ बोले कुटिया के अन्दर चलते गए, और अपने नौकर को साथ लेकर बाहर आये । उन्होंने नौकर से वो पत्ते तोड़ने के लिए कहा। नौकर उसी सड़क से गया । वह कुत्तों के बीच से गुज़रा । परन्तु जब काफी देर बाद, दोनों नौजवानों ने नौकर को सड़क से वापिस अपनी ओर आते देखा, तब देखा उसके हाथ नीम के पत्तों से भरे थे।

ये देखकर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए । महात्मा (साधु) बोले, “बेटा ये मेरा नौकर है, ये अँधा है… हालांकि ये देख नहीं सकता, परन्तु कौन सी चीज़ कहाँ पर है, इसे पूरा ज्ञान है। ये रोज़ मुझे नीम के पत्ते लाकर देता है.. और जानते हो क्यों इसे आवारा कुत्ते नहीं काटते, क्योंकि ये उनकी तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता”!

महात्मा (साधु) आगे बोले, “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा, जिस व्यर्थ की चीज़ पर तुम सबसे ज्यादा ध्यान दोगे, वह चीज़ तुम्हें उतनी ही काटेगी। इसलिए अच्छा होगा, तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो

Neem leaves कहानी से शिक्षा –

इन दो नौजवानों की तरह हम भी अपने जीवन में कुछ ऐसा ही अनुभव करते हैं । हमारा जीवन भी खूंखार मोड़ो से भरा होता है। न जाने कौनसे मोड़ पर मौत हमें गले लगा ले परन्तु यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि, हम उन नौजवानों की तरह डरकर वापिस लौट आते है या फिर नौकर की तरह धैर्य और हिम्मत से आगे कदम बढाते हैं और अपना लक्ष्य हासिल करते हैं!

Lockdown के समय मे नकरात्मक वातावरण में अनेको रोते हुए, बहाने बनाते हुए तथा दूसरों को कोस कोस के कामचोर बने रहने वाले आसपास के सभी लोगो को आप नजर अंदाज करके आत्मनिर्भर बनने के लिए लक्ष्य की दिशा में निरन्तर बढ़ते रहियेगा!!

 

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