पिता की चारपाई – Father’s Cot
पिता की चारपाई – Father’s Cot – एक बार एक पिता (Father) जिद कर रहाँ था कि उसकी चारपाई (cot) गैलरी में डाल दी जाये। बेटा परेशान था। बहू बड़बड़ा रही थी….. कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नहीं देता, हमने दूसरी मंजिल पर ही सही एक कमरा तो दिया…. सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं?
निकित ने सोचा पिता (Father) कमजोर और बीमार हैं…. जिद कर रहे हैं तो उनकी चारपाई (cot) गैलरी में डलवा ही देता हूँ। पिता (Father) की इच्छा पू्री करना उसका स्वभाव भी था।
अब पिता (Father) की चारपाई (cot) गैलरी में आ गई थी। हर समय चारपाई (cot) पर पडे रहने वाले पिता (Father) अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते। कुछ देर लान में टहलते। लान में खेलते नाती – पोतों से बातें करते , हंसते , बोलते और मुस्कुराते। कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें लाने की फरमाईश भी करते। खुद खाते , बहू – बेटे और बच्चों को भी खिलाते ….धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।
दादा मेरी बाल फेंको… गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी तो बेटे को डांटने लगा…
अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।
पापा! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं….अंशुल भोलेपन से बोला।
क्या… “निकित ने आश्चर्य से पिता (Father) की तरफ देखा!”… हां, बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं। लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी। जब से गैलरी में चारपाई (cot) पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है। शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।
पिता (Father) कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था…..
बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है ।
बुज़ुर्गों का सम्मान करें यह हमारी धरोहर हैं …!
यह वो पेड़ हैं जो थोड़े कड़वे हैं लेकिन इनके फल बहुत मीठे हैं और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !!
Father’s Cot – Father’s Cot – Once upon a time a father was insisting that his cot be put in the gallery. The son was upset. The daughter-in-law was murmuring….. no one gives separate room to the elderly, we have given a room right on the second floor….. have all the facilities, have also given a maid. Don’t know, have become cranky at the age of seventy?
Nikit thought that the father is weak and sick…. If you are insisting, then I will put his cot in the gallery. It was also his nature to fulfill the father’s wish.
Now the father’s cot had come in the gallery. The father, who was lying on the cot all the time, would now walk till the gate while walking. Walked in the lawn for a while. Playing in the lawn talking to grandchildren, laughing, talking and smiling. Sometimes he would also request his son to bring food items of his choice. Eating himself, feeding daughters-in-law and children too …. gradually his health started getting better.
Dada throw my hair… Entering the gate, Nikit heard his five-year-old son’s voice and started scolding the son…
Anshul babazis elderly, don’t ask him for such works.
dad! Dada picks up our ball everyday and throws it…. Anshul said naively.
What… “Nikit looked at the father in surprise!”… Yes, son, you had given a lot of facilities in the upstairs room. But his loved ones were not there. Couldn’t talk to you guys. Ever since the cot is lying in the gallery, while leaving, you talk to people. Anshul-Pashi gets along in the evening.
Father was being called, and Nikit was thinking…..
Elders probably need the company of loved ones more than material comforts.
Respect the elderly, they are our heritage…!
These are the trees which are a little bitter but their fruits are very sweet and there is no match for their shade.
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